कैसे दिन हैं आ गये; मंत्री बेचे प्याज ,
लूट करोड़ों खाए थे,सबके उतरेंगे ताज ।
सूखी रोटी नमक से; और साथ में प्याज ,
भूखों का मेवा था ये, उसको भी तरसे आज।
सब्जी तो महंगी हुयी; और रुलाये प्याज ,
भूखे पेट करें तो कैसे राम भजन और काज।
सोच विचार नेतागण भैय्या; सस्ते बेंचे प्याज,
पुलकित मन में, वोट मिलेंगे, और करेंगे राज।
~ Indira