और फिर नारी ने कहा
हे नर !
मैं तो हमेशा से वहीँ हूँ
जहाँ मुझे होना था
न तुम्हारे आगे न पीछे
न ऊपर न नीचे
बस बराबरी में
मुझे तो कभी भी महान बनने की चाहत न थी
तुम ही हमेशा ऊंचा बनने की होड़ में लगे रहे
महान बनने के रास्ते तो और भी थे
उन पर चल तुम ईश्वर बन सकते थे
पर तुमने यह क्या किया ?
मुझे नीचा दिखाने की कोशिश में
खुद से कमजोर जताने की ख्वाहिश में
खुद को महान दिखाने की चाहत में
मुझ पर बलात्कार और जुर्म कर
खुद को ही नीचा गिरा कर
मुझ स्वतः ही उपर उठा दिया
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