तुम्हारी मेरी सोच नहीं मिलती
तकरार बढ़ते जाते हैं
जो ना समय से रोका तो
मनमुटाव जरूरत से ज्यादा बढ़ जाते है
फासले बढ़ते जाते हैं
मौन को मत गहराने दो
संवाद बने रहने दो
बातों से भी तो मसले हल किये जा सकते है
अहम् की दीवार बीच में ना आने दो
रिश्ते मत तोड़ो
रिश्तों में दरार ना आने दो
अहम् को इतना भी ना खींचो कि
पुल बनाने की जगह न बचे
मिलें तो एक दुसरे को देख मुंह फेर ले