प्रेम क्या है मुझे पता नहींप्रेम क्या नहीं है वो बताती हूँ |
प्यार रास नहीं,रंग रोमांस नहीं
मन में पल भर को उठा
कोई खुमार नहीं|
प्यार सौदा नहीं,कोई व्यापार नहीं
तू ना दे तो में ना दूं
ऐसा कारोबार नहीं|
सृष्टि बस मेरी,किसीऔर का अधिकार नहीं
जब हो सोच ऐसी
फिर तो वहां प्यार नहीं|
प्यार अकृतज्ञता नहीं
इर्ष्या और स्वार्थ नहीं
कटुता और हिंसा से
इसको सरोकार नहीं|
इसके बाद जो भी बचे वोही तो प्यार है
तुम स्वयं प्यार हो बाकि सब बेकार है|http://rosesandcoffee.wordpress.com/2014/11/18/what-is-love/
प्रेम क्या है मुझे पता नहींप्रेम क्या नहीं है वो बताती हूँ |
प्यार रास नहीं,रंग रोमांस नहीं
मन में पल भर को उठा
कोई खुमार नहीं|
प्यार सौदा नहीं,कोई व्यापर नहीं
तू ना दे तो में ना दूं
ऐसा कारोबार नहीं|
सृष्टि बस मेरी,किसीऔर का अधिकार नहीं
जब हो सोच ऐसी
फिर तो वहां प्यार नहीं|
प्यार अकृतज्ञता नहीं
इर्ष्या और स्वार्थ नहीं
कटुता और हिंसा से
इसको सरोकार नहीं|
इसके बाद जो भी बचे वोही तो प्यार है
तुम स्वयं प्यार हो बाकि सब बेकार है|
~Indira
Nicely written……
I also write please read….
http://www.prashantmanitripathi.com/poems
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इंदिरा जी आपका हमारे ब्लॉग पर आकर उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद..
आपने इस पोस्ट में प्यार को बड़े सुन्दर ढंग से, तगड़े तंज से परिभाषित किया है… सच है प्यार खुद से करने, वस्तुतः खुद में धुन्धने की चीज है पर कई बार हम जैसे लोगों को किसी और की जरुरत पर जाती है इसे धुन्धने में..
शुभकामनायें
सन्नी
(http://sunnymca.wordpress.com)
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Utsah badane ke liye dhanyawad Sunnyji.
2014-11-25 17:46 GMT+05:30 सीपियाँ :
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